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रहस्यमाई चश्मा भाग - 44

नत्थू ने मंगलम चौधरी के आस पास एव उनकी मिलो में अपने लोंगो का जाल फैला रखा था जो मंगलम चौधरी के साम्राज्य को दीमक कि तरह खोखला बनाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन सफलता उन्हें इसलिये नही मिल रही थी कि मंगलम चौधरी बहुत ही संवेदनशील एव जिम्मेदार जागरूक व्यक्ति थे अपनी जिम्मेदारियों को लेकर फिर भी नत्थू अपनी शातिर चालों से बाज नही आ रहा था नत्थू ने अपने कुछ अति विश्वसनीय आदमियों को अपनी औलाद सिंद्धान्त के इर्द गिर्द लगा रखा था क्योकि वह वह जानता था कि सिंद्धान्त ही मंगलम चौधरी के सभी कारोबार का मुख्य कर्ता धर्ता है,,,,

अतः नत्थू मनलम चौधरी पर आखिर आक्रमण करने से पूर्व चाहता था कि सिंद्धान्त को किसी तरह विश्वास दिला दे कि सिंद्धान्त उसी का बेटा है लेकिन कैसे उसने तो नवजात को कचरे में मंगलम चौधरी के भरोसे छोड़ दिया था उंसे यह चिंता थी की क्या सिंद्धान्त मंगलम चौधरी की परिवरिश संस्कारो को सिर्फ खून के नाम पर भूल जाएगा क्या सिंद्धान्त भूल जाएगा कि उसको जन्म देने के बाद मर गयी उसकी मां को उसके बाप ने लावारिस जानवरो एव छिल कौवों के भरोसे छोड़ समान में सामाजिक समानता कि लड़ाई के नाम पर डांका हत्या लूट डकैती आदि करने गया था नत्थू जीवन के ऐसे दो राहें पर खड़ा था जहां उसके जीवन के कर्मो के परिणाम मिलने थे,,

लेकिन अपराध का सिंद्धान्त है एक अपराध से बचने के लिए दूसरा अपराध उसी रास्ते पर चल पड़ा था नत्थू पहले उसने यशोवर्धन के समूचे कुल को तड़पा तड़पा कर मृत्यु को गले लगाने को विवश कर दिया अब वह यशोवर्धन कि आखिरी निशानी शुभा और मंगलम चौधरी को भी नेस्तनाबूद करने का षड्यंत्र कर जाल बिछा रखा था क्योकि या तो मंगलम चौधरी जानते थे सर्वानद से मिलने के बाद कि शुभा जीवित है और सुयश उनका ही बेटा है या इस रहस्य को नत्थू जानता था लेकिन मंगलम चौधरीं को पता नही था कि सिंद्धान्त नत्थू का ही अपना खून है जिसे बदनीयती से उसने मंगलम चौधरी तक पहुंचाया है,,,,

सुयश इंग्लैंड में बहुत मेहनत से मंगलम चौधरी के निर्देशानुसार अध्ययन रत था उसने अर्थ शास्त्र में स्नातकोत्तर किया और बार एट ला किया और कामर्स आदि विषयों में स्नातकोत्तर किया सुयश को सात आठ वर्ष इंग्लैंड में अध्ययन हेतु रहना पड़ा सुयश ने इंग्लैंड में अपनी शिक्षा के दौरान बहुत से नए कीर्तिमान स्थापित किये जिसे देखकर ब्रिटिश प्रोफेसर आश्चर्य चकित थे ।प्रोफेसर तिपनिस ने जिन्होंने मंगलम चौधरी को पढ़ाया था ने सुयश के विषय मे अपने पूर्व शिष्य मंगलम चौधरी को एक पत्र लिखा पत्र में प्रोफेसर तिपनिस ने लिखा था -

प्रिय मंगलम ढेर सारा आशीष तुमने जिस युवा को अध्ययन के लिए भेजा है वह बिल्कुल तुम्हारे उस कथन का सत्य है जब तुम मेरे छात्र थे और तुमने ब्रिटेन में ही ब्रिटिश छात्रों के बीच अपनी मेधा का परचम लहराया था तब मैंने पूछा था कि मंगलम तुम्हारा रिकार्ड कौन तोड़ सकता है तब तुमने कहा था मेरा ही खून अपना बेटा लेकिन इसके पूर्व के शैक्षिक प्रमाणपत्रों पर तो पिता का नाम लिखा है भोले शंकर मैं यह पूरे विशास एव दावे के साथ मंगलम तुम्हे आश्वस्त क्ररता हूँ की जिस विश्वासः के साथ तुम्म्ने सुयश को मेरे पास भेजा था सुयश उससे अधिक कामयाब होकर तुम्हारे नाम को चार चांद लगाएगा और तुम्हारा अभिमान होगा।

पत्र मिलने के बाद मंगलम चौधरी ने जो जबाब दिया था उंसे पढ़कर प्रोफेसर टीपनिस कि आंखे भर गई मंगलम ने लिखा था पूज्य गुरुवर प्रणाम -आपके पत्र के उत्तर में मैं कहना चाहूंगा कि मैंने शुभा से प्यार किया था हम दोनों का विवाह भी लगभग निश्चित था शुभा उस समय गर्वबती थी या नही यह मैं नही जानता था लेकिन उसने भारत मे अपने ही गांव के मंदिर में एक पुत्र को जन्म दिया चूंकि भारत पाकिस्तान बटवारे के धार्मिक उन्माद की भेंट शुभा का पूरा परिवार चढ़ चुका था,,,

अतः मंदिर के पुजारी ने ही नवजात के पिता का नाम भग्यवान शंकर को ही बना दिया और संयोग देखिए आदरणीय गुरुवर सुयश ने अपना दाहिना हाथ सिर्फ मेरे एक चश्मे के लिए गंवा दिया और उसकी माँ शुभा उंसे अब तक खोजते हुए जाने कहाँ डर बदर भटक रही है इसे अपना दुर्भाग्य कहूं या भाग्य भगवान का निर्णय कहूं या अपने ही किसी कर्म का फल समझ नही पा रहा हूँ ।

मंगलम चौधरी जबसे सुयश लंदन उच्च शिक्षा हेतु गया था तब से निरंतर प्रोफेसर टीपनिस से निरंतर सुयश के शैक्षिक प्रगति कि जानकारी वैसे ही प्राप्त करते रहते जैसे वह स्वयं वर्षो पहले प्रोफेसर टीपनिस के प्रिय छात्र होते हुए वर्षो पहले सम्पर्क में रहते जब सुयश कि शिक्षा पूर्ण होने वाली थी तब अपने पत्र में प्रोफेसर टीपनिस ने लिखा प्रिय मंगलम - जैसे तुम्हे मैंने अपने सम्पूर्ण व्यवहारिक आध्यात्मिक भौतिक ज्ञान से परिपूर्ण इस विश्वास के साथ किया था कि तुम जीवन के किसी भी क्षेत्र में किसी भी परिस्थिति में कभी भी असफल ना हो सको जब ऐसी स्थिति आये तब तुम्हे मेरे द्वारा दी गयी शिक्षा तुम्हारा मार्ग दर्शन करती रहे मुझे विश्वास है तुमने मेरी शिक्षाओं के सोपानों को अपने जीवन मे उतारा अवश्य होगा,,,,,

जारी है

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2 Comments

kashish

09-Sep-2023 08:14 AM

V nice

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Gunjan Kamal

16-Aug-2023 12:27 PM

👏👌🙏🏻

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